भारत का इतिहास इमानदार राजाओ से भरा है |सभी अपने अपने तरीके के इमानदार थे |कोई वचन से इमानदार थे तो कोई कर्म से इमानदार थे |लेकिन आजकल भारत में हर कोई इमानदार बनने की कोशिश में लगा है लेकिन इमानदार बनना कोई बच्चो का खेल थोड़े ही है जो हर कोई इमानदार बन जायेगा |यह तो बहुत बड़ी बात है |आदमी तो आदमी राजनितिक पार्टी भी में भी इमानदार बन्ने की होड़ लगी है |कांग्रेस अपने आप को सबसे बड़ी इमानदार पार्टी बता रही है तो एक तरफ भाजपा |लेकिन कोई अपने गिरेबान में नहीं देखता है की उसके पार्टी में कितने घोटालेबाज है उसने किन किन घोटालेबाज को शरण दे रखी है |कांग्रेस जो इस देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी है वह घोटालेबाजो से भरी हुई पार्टी है|एसा नहीं है की वह सिर्फ घोटालेबाजो को शरण देती है बल्कि वह जिसे मह्वात्पूर्ण पद सोपती है वही घोटाले करने में मग्न हो जाता है |पद पाने के बाद घोटाले करना ही उसके लिए रह जाता है |सिर्फ घोटाला करो और माल बनाओ और जाकर स्विस बैंक में भविष्य के लिए सुरिक्षत कर दो |इस पार्टी में घोटालेबाजो की संख्या अधिक होने का कारन है की वह समझता है की घोटाले के बाद हम तो साफ साफ बच जायेंगे ज्यादा होगा तो पद जायेगा लेकिन माल तो बन जायेगा |उदहारण के लिए ------------
इधर भाजपा शासित कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने भी महंगी जमीन अपने परिवार वालो के नाम करवा दी |इस तरह से भारत की दो महत्वपूर्ण पार्टियो में अपने आप को घोटाले में लिप्त होने के बाबजूद इमानदार सिद्ध करने की होड़ मची है जो सही नहीं है |